भगवान झूलेलाल जी के पूज्य चालीहा साहिब एवं नहीरि माह के चंड की हार्दिक शुभकामनाएं और लख लख बधाइयां।आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो यही भगवान झूलेलाल जी से हमारी प्रार्थना है।
नोट--अख्खा साहिब बनाने की विधि सवा किलो चावल,थोड़ी शक्कर,कंकु,गुलाल,अम्बिर मिलाकर एक डब्बे में रख दे।रोजाना अख्खा पहनते वक़्त 1 लोंग और 1 इलायची लेकर उसके साथ थोड़ा अख्खा (जो आपने डिब्बे में बनाकर रखा है) ले।जल के आगे ज्योत जगाकर,अख्खे साहिब के मंत्र का तीन बार जाप करके इस पहने हुए अख्खे को दूसरे खाली डिब्बे में रखे।फिर पूज्य चालीहा साहिब की मध्य में आने वाले हर थारु (शुक्रवार ) दरीयाह,(नदी, तालाब या कुँए) में परवान करे।
अखे साहिब का मन्त्र
ॐ अखो पायां अमर रीझायां, जो फल मांगा सो फल पावां ।
अखो अखो जय भन्डार अखो, अखे अखे वेनती अधिकाई ।
जेइ चइजनि हेकड़ा तिन जो साणी अमरलाल ।
मूं मिस्कीन जा ही बटे कणा, अखा-फुला कबुल पवनि ।
आरती अमरलाल साहिब की
आरती कीजे अमरलाल अवतार की
लाल अवतार की ओम ओंकार की
1. जो जो पड़ियो शरण दरिया,
कारज सभी उनका सरिया ।
टूट गई फांसी मोह जार की ।
आरती कीजे ....................................
2. जो जो अमर उदेरे को सेवे,
मन-वांछित फल उनको देवे ।
महर होवे निरंजन निरंकार की । आरती कीजे .................................
3. जिन जिन सुमरियो से हो गया निहाल,
एक ही जान्यो हर विशन उदेरा लाल ।
मिट गई कल्पना सारे संसार की । आरती कीजे ...............................
4. आशीस अमर की जिन पर भाई.
उनसे अम्माबाई ज्योति सहाई ।
रहे न चिंता खाणी चार की । आरती कीजे ....................................
5. अमर का ध्यावे सो हो गया ज्ञानी,
पूज पूज पायली मुगद निशानी ।
खुल गई खिड़की मोक्षद्वार की । आरती कीजे .................................
6. आरती अमर की जो कोई गावे,
सुखी रहे संसार में परम पद पावे ।
उठे ना लहर विषय-विकार की । आरती कीजे ..................................
7. आत्म अधीन की है विनती गुसाई,
गुरु पुगर लाल सां मेलो कराई ।
और भी इच्छा है तेरे दीदार की । आरती कीजे ................................
पल्लव
श्री लाल उदेरा साईं, तुहिंजा प्रेमयुनि भरिया पेर ।
तो बाझूं बियो नाहिं को, करे गुरु असां ते महिर ।
जदहिं भीर पई असां तो, तदहिं तो लधी सार ।
से असीं कीअं वञूं भुलजी, दिलां हे दिलदार ।
तो धारां बियो नाहिं को, गुरु असांजे कुलजो नाथ ।
शिव, ब्रम्हा, विष्णु, सभु आहिन तुहिंजे साथ ।
देवन जो देव तूं, पीरन जो पिण पीर ।
शाहन जो तूं शाह सूंही, मीरनि जो पिण मीर ।
करियां तुहिंजी वन्दना, हमेशा दींहु ऐं रात ।
उदेरा सांई तुहिंजे आधार आ, सजी हिन्दुनि जी जात ।
करि कृपा श्री लाल उदेरा, वेनती करे हीउ दास ।
हर हर तेरा, तूं दाता मैं नीच भिखारी ।
सदा रहूं में शरण तुम्हारी ।
हे अमरलाल, ज्योति सरुप गुरु गरीब- निवाज़ ।
पतित पावन तेरो ही बिरद है, जुग-जुग तुम्हरे साथ ।
आइ तुझ शरने पड़ी, सुनो गरीब-निवाज़ ।
आशाउनि जी आश पुजाई, वेसासी बि बधाइ ।
जिनि जी जहिड़ी भावना, तिनि जी तहिड़ी पुजाइ ।
जणिए, तिलक जी जै करि, सरब आसाऊ सफला करि ।
लाल जा जाटी चओ झूलेलाल ।
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जय झूलेलाल
साईं मनीषलाल साहिब
जय झूलेलाल(वरुणदेव) मंदिर भरुच(गुजरात)
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