ख़्वाब
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मन में जन्नत सज जाती है
तुमसे नज़र जब लड़ जाती है
प्यार उढ़ेला तुमने ऐसा
धड़कन दिल की थम जाती है
मासूम कली सी कोमल तू
कंचन काया की माया है
होंठ रसीले रस टपकाएं
नैनों ने रंग जमाया है
मुख पर ज़ुल्फें बिखराती है
धड़कन दिल की......
मांग रहा मन ऐसी महिफिल
इक दूजे में खो बस जाएं
तज दें सारी इच्छाएं भी
रूप रंग में ही रस पाएं
कोमलता मन सहलाती है
धड़कन दिल की.......
पल पल की प्रतीक्षा में ही
कलियां चहकी हैं बाग़ों में
जीवन भी अब संवर गया है
मिलता हूं तुमसे ख़्वाबों में
रात रंगीली मदमाती है
धड़कन दिल की थम जाती है.....
केटी दादलाणी
भोपाल
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