*सिनान महिल हरि ॾींहुं सिन्धूअ जो सिमरनु कयो*
वेदनि ऐं पुराणनि में सिन्धूअ जी ॾाढी वॾी महिमा (वॾाई) ॻाई वई आहे । पहिरें वेद रिग्वेद में सिन्धूअ जो नालो 30 भेरा ऐं गंगा जो नालो छड़ो 2 भेरा आयो आहे ।
महाभारत में चयो वयो आहे : "सिन्धूअ जे जल में सिनानु करिण सां सारा पाप माना सारा रोॻ मिटी वेंदा आहिनि ।"
सिन्धूअ जी महानता एॾी मुल्हाइती आहे जो 'स्नान - मन्त्र' में बि 'सिन्धूअ' जो सिमरनु कयो वयो आहे ।
*गंगे च यमुनेचैव, गोदावरी,*
*सरस्वती, नर्मदे, सिन्धू, कावेरी*
*जलेस्मिन सन्निधि कुरु !*
माना हे गंगा, जमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिन्धू, कावेरी तव्हां सदाई असांजे वेझो रहो !
इन्हंकरे सिनानु करिण महिल मन में चवणु घुरिजे - *"हे माताऊं गंगा, जमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिन्धू ऐं कावेरी तन ऐं मन खे सदाईं निर्मलु कयो !"*
प्रेमु तनवाणी - 9685943880
*स्नान करते समय हर दिन सिन्धू का सिमरन करें*
वेदों और पुराणों में सिन्धू की बहुत बड़ी महिमा गाई गई है । पहले वेद ऋग्वेद में सिन्धू का नाम 30 बार और गंगा का नाम केवल 2 बार आया है ।
महाभारत में कहा गया है : "सिन्धू के जल में स्नान करने से सारे पाप अर्थात सारे रोग मिट जाते हैं ।"
सिन्धू की महानता इतनी महत्वपूर्ण है स्नान - मन्त्र में भी 'सिन्धू' का सिमरन किया गया है ।
*गंगे च यमुनेचैव, गोदावरी,*
*सरस्वती, नर्मदे, सिन्धू, कावेरी*
*जलेस्मिन सन्निधि कुरु !*
इसलिए स्नान के समय मन में प्रार्थना करें कि "हे माताएं गंगा, जमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिन्धू, कावेरी आप हमारे तन और मन को निर्मल करें, आप सदा हमारे पास रहें !
प्रेम तनवाणी - 9685943880
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