सिंधु जो राजा दाहिर सेन

 



 


"कविता"
       


"सिन्ध जो राजा  दाहिर सेन"


शूरवीर हो -सिन्ध जो राजा दाहिर सेन।
करे छॾियाईं-सिन्ध लाइ जान कर्बान।
(1)सिन्ध जी रखिवाली-दिलि सां कयाईं
     दुश्मननि सां-खूब बदलो वरिताईं ।
    सिन्ध जी धरती जी-लॼ रखियाईं। 
    सिन्ध जे झण्डे जी-शान रखियाईं।
शूरवीर हो-सिन्ध जो राजा दाहिर सेन।
करे छॾियाईं-सिन्ध लाइ जान कर्बान।
(2)सिन्ध जी रखिया करे-सिन्ध खे 
      बचायो ।
    मां रहा न रहा पर-सिन्ध जो नालो रहे 
     ऊँचो ।
    इन्हीअ विचार सां-सिन्ध खे ॻाढ़े रत 
     सां सींचो ।
     पहिंजी जान जी परवाह न करे-सिन्ध 
      खे बचायो ।
शूरवीर हो-सिन्ध जो राजा दाहिर सेन।
करे छॾियाईं-सिन्ध जे लाइ जान कुर्बान
(3)गद्दारनि धोखे सां हिन खे-घेरे वरितो
     जख्मी थियण ते बि लड़न्दो रहियो
    लड़न्दे लड़न्दे सिन्ध जी धरती ते 
    कुर्बान थी व्यो ।
    अहिड़े शहीद खे "मलंग"कोटि कोटि 
     प्रणाम कयो ।
शूरवीर हो-सिन्ध जो राजा दाहिर सेन।
करे छॾियाईं-सिन्ध जे लाइ जान कुर्बान
           मोहन लाल बोधवाणी"मलंग"
            
                आगरा
    
   
                25-08-2020


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