"जिस प्रकार बार-बार आग में जलाने पर भी सोना अपनी चमक और रंग नहीं छोड़ता है, बार-बार काटे जाने पर भी गन्ना अपनी मिठास नहीं छोड़ता है और बार-बार घिसे जाने पर चन्दन भी अपनी सुगन्ध नहीं छोड़ता है, उसी प्रकार महान् व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में अपने आचरण व स्वभाव में गिरावट नहीं आने देते।"
*सिंधी तर्जुमो..*
*जहिड़ीअ तरह वर वर बाहि में साड़ण ते बि सोनु पंहिंजी चमक ऐं रंगु न छॾींदो आहे, वर वर कटिजण ते बि कमंदु पंहिंजो मेठाजु न छॾींदो आहे, वर वर गहण सां चंदनु बि पंहिंजी सुॻंधि न छॾींदो आहे, तहिड़ीअ तरह आला इंसान कंहिड़े बि हाल में पंहिंजी हलति ऐं सुभाअ में गिरावत अचणु न ॾींदा आहिन..*
*سنڌي ترجمو...*
*جھڙيءَ طرح ور ور باھ ۾ ساڙڻ تي بہ سون پنھنجي چمڪ ۽ رنگ نہ ڇڏيندو آھي، ور ور ڪٽجڻ تي بہ ڪمند پنھنجو ميٺاج نہ ڇڏيندو آھي، ۽ ور ور گھڻ سان چندن بہ پنھنجي سڳنڌ نہ ڇڏيندو آھي، تھڙيءَ طرح اعلي انسان ڪھڙي بہ حال ۾ پنھنجي ھلت ۽ سڀاءَ ۾ گراوت اچڻ نہ ڏيندا آهن...*
*अनुवाद: सनमुखाणी नंद कुमार*
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