पुराण कथा


18 पुराणों के नाम और उनका संक्षिप्त परिचय


नारद पुराण के अनुसार प्राचीन काल में एक ही पुराण था जिसका विस्तार 100 करोड़ श्लोकों में था जो आज भी देवलोक में विद्यमान है। समयानुसार संसार में पुराणों का ग्रहण न होता देख भगवान विष्णु ने ब्रह्मवेत्ता महात्मा व्यास के रूप में प्रकट होकर सम्पूर्ण लोकों के हित के लिए चार लाख श्लोकों के पुराण का संग्रह किया और उसे 18 भागों में विभक्त करके 18 पुराणों की रचना की। इन 18 पुराणों के नाम इस प्रकार हैं।


18 पुराणों के नाम


1. ब्रह्म पुराण
2. पद्म पुराण
3. विष्णु पुराण
4. वायु पुराण  
5. भागवत पुराण 
6. नारद पुराण
7. मार्कण्डेय पुराण
8. अग्नि पुराण  
9. भविष्य पुराण  
10. ब्रह्म वैवर्त पुराण
11. लिङ्ग पुराण
12. वाराह पुराण
13. स्कन्द पुराण
14. वामन पुराण
15. कूर्म पुराण
16. मत्स्य पुराण
17. गरुड़ पुराण
18. ब्रह्माण्ड पुराण


आइए जाने सनातन धर्म के पुराणो के बारे मे,


यहाँ पाठकों की जानकारी के लिए 18 पुराणों की संक्षिप्त विषय सूची दी गई है। नारद पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी अपने पुत्र ऋषि मरीचि को उपदेश देते हुए कहते हैं –


” ब्रह्मण, जो मनुष्य 18 पुराणों के नाम और उनकी विषय सूची का पाठ या श्रवण करता है वह भी समस्त पुराणों के पाठ या श्रवण का फल पा लेता है। ”


::::::::::::::::::::::::::::::[भाग एक]::::::::::::::::::::::::::::::::::::


_________________ब्रह्म पुराण________________


ब्रह्म पुराण सभी पुराणों में प्रथम है। वेदव्यास जी ने सबसे पहले दो भागों से युक्त ब्रह्म पुराण का ही संकलन किया।


श्लोक संख्या – 10 हजार
विषय सूची –


पूर्व भाग – देवताओं, असुरों और प्रजापतियों के उत्पत्ति की कथा, भगवान सूर्य के वंश का वर्णन , भगवान श्रीराम के अवतार की कथा , चन्द्रवंश का वर्णन और भगवान श्रीकृष्ण का चरित्र ,


पृथ्वी के समस्त द्वीपों, पाताललोक और स्वर्गलोक का वर्णन , नरकों का वर्णन , पार्वती जी के जन्म तथा विवाह की कथा , दक्ष प्रजापति की कथा


उत्तर भाग – यमलोक का वर्णन तथा पितरों के श्राद्ध की विधि , वर्णों तथा आश्रमों के धर्मों का निरूपण , युगों का निरूपण , प्रलय का वर्णन , योग तथा सांख्य सिद्धान्तों का प्रतिपादन


_________________पद्म पुराण_______________


पद्म पुराण पाँच खण्डों से युक्त है।


श्लोक संख्या – 55 हजार
विषय सूची –


सृष्टि खण्ड – महर्षि पुलस्त्य द्वारा भीष्म को सृष्टि की उत्पत्ति तथा इतिहास का उपदेश , पुष्कर तीर्थ का माहात्म्य , ब्रह्म यज्ञ की विधि , विभिन्न प्रकार के दान और व्रतों का निरूपण ,


पार्वती जी का विवाह , तारकासुर की कथा , गौमाता का माहात्म्य , कालकेय दैत्य का वध , ग्रहों के पूजन और दान की विधि


भूमि खण्ड – शिवशर्मा की प्राचीन कथा , सुव्रत की कथा , वृत्रासुर के वध की कथा , पृथु, वेन और सुनीथा की कथा , नहुष की कथा , ययाति चरित्र , राजा और जैमिनि संवाद ,


अशोक सुंदरी की कथा , हुण्ड दैत्य का वध , विहुण्ड दैत्य का वध , महात्मा च्यवन और कुञ्जल संवाद


स्वर्ग खण्ड – पृथ्वी सहित सम्पूर्ण लोकों की स्थिति और तीर्थों का वर्णन , नर्मदा जी की उत्पत्ति की कथा और उनके तीर्थों का वर्णन , कालिन्दी की कथा , काशी, गया और प्रयाग का माहात्म्य ,


वर्ण और आश्रम के अनुकूल कर्मों का निरूपण , व्यास – जैमिनी संवाद , समुद्र मंथन की कथा , भीष्मपञ्चक का माहात्म्य


पाताल खण्ड – श्रीराम का राज्याभिषेक , पुलस्त्य वंश का वर्णन , अश्वमेध का उपदेश , जगन्नाथजी की महिमा , वृन्दावन का माहात्म्य , श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन ,
वैशाख स्नान की महिमा , भूमि वाराह संवाद , दधीचि की कथा , शिव माहात्म्य , गौतम ऋषि की कथा


उत्तर खण्ड – भगवान शिव के द्वारा गौरी के प्रति कहा हुआ पर्वतोपाख्यान , जालन्धर की कथा , राजा सगर की कथा , अन्नदान का माहात्म्य , चौबीसों एकादशियों का माहात्म्य ,


विष्णुसहस्त्रनाम का वर्णन , कार्तिक व्रत का माहात्म्य , भगवान नृसिंह उत्पत्ति कथा , गीता माहात्म्य , श्रीमद्भागवत माहात्म्य , मत्स्य आदि अवतारों की पुण्यमयी कथा ,


इन्द्रप्रस्थ की महिमा , महर्षि भृगु के द्वारा भगवान विष्णु की परीक्षा


________________विष्णु पुराण_______________


विष्णु पुराण में सभी शास्त्रों के सिद्धांत का संग्रह हुआ है। इसमें वेदव्यास जी ने वाराहकल्प का वृत्तांत कहा है।


श्लोक संख्या – 23 हजार
विषय सूची –


पूर्व भाग – देवताओं की उत्पत्ति , समुद्र मंथन की कथा , प्रजापति दक्ष के वंश का वर्णन , ध्रुव तथा पृथु का चरित्र , प्रह्लाद की कथा , ब्रह्माजी के द्वारा देवता,


मनुष्य आदि वर्गों के प्रधान व्यक्तियों को अलग अलग राज्याधिकार दिए जाने का वर्णन , पृथ्वी, पाताल और नरकों का वर्णन ,


भरत चरित्र , निदाघ एवं ऋभु संवाद , मन्वन्तरों का वर्णन , वेदव्यास का अवतार , नरक से उद्धार का उपाय , सगर और और्व संवाद , श्राद्धकल्प तथा वर्णाश्रम धर्म , सदाचार निरूपण ,


मायामोह की कथा , सूर्यवंश की कथा , चन्द्रवंश का वर्णन , गोकुल की कथा , श्रीकृष्ण द्वारा पूतना आदि का वध , अघासुर वध , कंस वध , मथुरापुरी की लीला , द्वारका लीला ,


भगवान श्रीकृष्ण के अलग अलग विवाह की कथा , अष्टावक्र जी का उपाख्यान , कलियुग चरित्र , चार प्रकार के महाप्रलय का वर्णन , केशिध्वज के द्वारा जनक को ब्रह्मज्ञान का उपदेश


उत्तर भाग – अनेकों पुण्य व्रत , यम नियम , धर्मशास्त्र , अर्थशास्त्र , वेदान्त , ज्योतिष , स्तोत्र, मन्त्र आदि विद्याओं का वर्णन , वाराहकल्प का वृत्तान्त


______________वायु पुराण______________


वायु पुराण में वायुदेव ने श्वेतकल्प के प्रसंग से धर्मों का उपदेश किया है इसलिए इसे वायुपुराण कहा गया है।


चूँकि वायुपुराण में भगवान शिव की कथाओं का ही विशेष रूप से वर्णन है इसलिए अन्य मान्यताओं से इसे शिवपुराण भी कहा जाता है। यह दो भागों से युक्त है।


श्लोक संख्या – 24 हजार
विषय सूची –


पूर्व भाग – अलग अलग मन्वन्तरों में राजाओं के वंश का वर्णन , गयासुर के वध की कथा , अलग-अलग मासों (महिनों) का माहात्म्य , दानधर्म और राजधर्म का वर्णन , पृथ्वी, आकाश, पाताल में विचरने वाले जीवों का वर्णन


उत्तर भाग – शिवसंहिता , नर्मदाजी का माहात्म्य तथा उनके तीर्थों का विस्तार से वर्णन , भगवान शिव का चरित्र एवं लीला





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