कोरोना कालु : रोमा चांदवानी 'आशा'

                                                                     

 


कोरोना कालु 

कोरोना  जो  क़हिरु  बरिपा  आहे  भारी 
क़बर  मां उथी वरी  आयी आ महामारी

ब॒  गज़   जी   रखिजे   सामाजिक  दूरी 
मास्क  पाइणु  में  एहतियात  पूरी पूरी 

हथ  धोपिजण  जी  हेर  विझिझे   थोरी
सेनेटाइज़र  साणु   हुजे  संभाल  समूरी


टुका  हणाइण  हयातिअ  लाइ   ज़रूरी
पंहिंजी  मददु  पाणु  ऐं   खुदि  बुर्दबारी  

कुझ  डीं॒ह महीननि ताईं  आहे  मजबूरी
बा॒हिरि असुली न  निकिरजे  गै़र-ज़रूरी

खाधो पीतो न  खाइजे ठहिय्लु  बाज़ारी 
घरुजी  दालरोटी भा॒जी  डा॒ढी  रसाकारी 

रोज़गारु  वापार  करण  बरोबर लाचारी 
परअ ‘जानि’  इंसान  जी  बे बहा प्यारी

समे   ते  जांच ऐं  इलाज आहे हितकारी
वसूं  न घटाइण  सभिनी  जी  ज़िमेवारी 

झूलण करे  महिर झोलियूं  भरनि  सारी
हर  पल भग॒वानजी करियो  शुक्रगुज़ारी

निमु   बड़ु   पिपिरू  पोखण  सर्वौप्कारी
जियापे  लाइ  गा॒ल्हि  घणी   फाइदेवारी

घर  बा॒र  कुटंब  जी  रखिजो  ख़बरदारी
मुद्दत   नाज़िक  निभाइजो  दुनियादारी 
 
वक्तु  डु॒खियो आ  ऐं रातिअ आहे  कारी 
मुंद   बि  पक  इंदी  बेशकि ‘आशा’ वारी


रचिनाकारा : रोमा चांदवानी 'आशा' 



      


    





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