त्रेता युग से रावण व नेता युग से मंत्री - वार्तालाप

 





त्रेता युग से रावण व नेता युग से मंत्री - वार्तालाप


रावण - पहले मैं अन्दर जाऊँगा!

मंत्री - नहीं मैं जाऊँगा। तुम कौन?

रावण - मैं त्रेता युग से रावण।

मंत्री - मैं नेता युग से मंत्री।

रावण - मैं पुलस्त्य का पौत्र, विश्रवा का पुत्र।

मंत्री - मैं मंत्री का पौत्र, मंत्री का पुत्र।

रावण - मैं दस चेहरों वाला - दशानन!

मंत्री - मेरे चेहरे गिन सकोगे? हज़ारों हैं- सहस्रानन!

रावण - मेरे पास विद्या है!

मंत्री - मेरे पास डिग्री है!

रावण - तुम्हारी डिग्री नकली है!

मंत्री - तो?

रावण - त्रेता युग में मैंने राम तक को प्रश्नचिन्हित कर दिया था।

मंत्री - हमारे वामपंथी पार्टनरों ने जितना कलयुग में किया उस से ज़्यादा!?

रावण - तुम मेरा बल नहीं जानते!

मंत्री - तुम मेर छल नहीं जानते।

रावण - मैं लंका देश का राजा था।

मंत्री - हमने देश की लंका दी है।

रावण - मेरा भय देखा है? अब भी मेरा पुतला दहन हर वर्ष होता है!

मंत्री - हा हा हा! मेरा हर सप्ताह होता है।

रावण - तुम मुझसे शास्त्रार्थ में जीत सकते हो?

मंत्री - तुम मुझसे टीवी डिबेट में जीत सकते हो?

रावण - मेरा यश तीनों लोकों में व्याप्त है।

मंत्री - होगा। तुम एक पार्षद का चुनाव जीत सकते हो?

रावण - मैं चुनाव क्यों लड़ूँ? मैं युद्ध जीतने का अभ्यस्त हूँ।

मंत्री - जैसे कि?

रावण - मैंने कुबेर से भीषण युद्ध कर उसका सारा ख़ज़ाना क़ब्ज़े में कर लिया था? 

मंत्री - लो! हम बिना लड़े देश का पूरा ख़ज़ाना क़ब्ज़े में कर लेते हैं।

रावण - तुम छली हो!

मंत्री - हाहाहा... दशानन! आप ही पहले जाएं लेकिन अब तक आपको समझ में आ गया होगा कि आपसे बड़े-बड़े रावण अब गली-गली में घूम रहे हैं। मेरी मानो, अब रिटायर हो लो।

रावण - प्रभु! आपने उचित ही कहा। 

क्या आप कोई ऐसी व्यवस्था कर सकते हो कि इस बार जो जलूँ तो फिर न आऊँ?

नेता - नहीं।

यह तो आपको लगा हुआ किसी का श्राप है। भले आप से भी बड़े रावण समाज में आ गए हैं लेकिन जलना आप को ही पड़ेगा!

रावण - क्यों?

मंत्री - क्योंकि लोग समझते हैं कि बस आप ही रावण हो।

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